...

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फाँसी
आज कोर्ट मे भीड़ बहुत थी
मचा था आपा धापी।
खड़ा हुआ था आज कटघरे में
एक शातिर पापी।
गर्मीं का महीना तारीख
आठ जून है।
कोर्ट मे साबित हुआ कि उसने
किया खून है।
जज साहब ने सुनी दलीलें
दोनो दल की।
और सजा मे उस मुजरिम को
फाँसी दे दी।
अब तक तन कर खड़ा था मुजरिम
अब थोड़ा घिघियाया ।
कंठ हुए अबरुद्ध किन्तु बस
इतना ही कह पाया।
पाप किया है,दंड मिलेगा
बेशक़ फाँसी दे दो।
पर मरनेवाले की अंतिम
एक फरियाद तो सुन लो।
60 वर्ष है उम्र
काम इतना कर जाता।
फांसी से पहले बेटे की
बारात देखकर जाता।
जज साहब बोले- तेरी
अंतिम फरियाद सुनूंगा।
पहले बारात देख लो
फिर मैं तुमको फाँसी दूंगा।
अब एक बात बता दो
लिख लूँ इसको हाथों हाथ।
कब बेटे की शादी है,
कब जाएगी बारात?
जज साहब मैं निपट कुंवारा
पहले कर लूँ शादी।
फिर जब मेरा बेटा होगा
करूंगा उसकी शादी।
अपने बेटे की शादी में
जाऊँगा बारात।
तब तक जिंदा बचूं
तो देना फाँसी हाथों हाथ।
😛😛😛😛😛😛😛😛


© Kaushal