फाँसी
आज कोर्ट मे भीड़ बहुत थी
मचा था आपा धापी।
खड़ा हुआ था आज कटघरे में
एक शातिर पापी।
गर्मीं का महीना तारीख
आठ जून है।
कोर्ट मे साबित हुआ कि उसने
किया खून है।
जज साहब ने सुनी दलीलें
दोनो दल की।
और सजा मे उस मुजरिम को
फाँसी दे दी।
अब तक तन कर खड़ा था मुजरिम
अब थोड़ा घिघियाया ।
कंठ हुए अबरुद्ध किन्तु बस
इतना ही कह पाया।
पाप किया...
मचा था आपा धापी।
खड़ा हुआ था आज कटघरे में
एक शातिर पापी।
गर्मीं का महीना तारीख
आठ जून है।
कोर्ट मे साबित हुआ कि उसने
किया खून है।
जज साहब ने सुनी दलीलें
दोनो दल की।
और सजा मे उस मुजरिम को
फाँसी दे दी।
अब तक तन कर खड़ा था मुजरिम
अब थोड़ा घिघियाया ।
कंठ हुए अबरुद्ध किन्तु बस
इतना ही कह पाया।
पाप किया...