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#साझासपने
#साझासपने
तेरा मेरा इसका उसका, सबका सपना एक।
समय आ गया बैर भूलाकर हम हो जाएं एक।

कब तक जाति धर्म का पीटें ढोल, कोइ समझाए।
रंग-रूप का भेद छोड़कर,चलो एक हो जाएं।
लड़ते भिड़ते रहे आजतक, काम करें अब नेक
कडुवाहट की और खटास की अब दो लाठी फेंक।

तेरा मेरा इसका उसका, सबका सपना एक।
समय आ गया बैर भूलाकर हम हो जाएं एक।

क्या पंजाबी क्या गुजरती बंगाली मद्रासी।
अलग अलग हैं राज्य भले,पर हैं तो भारतवासी।
दिखते सारे अलग-अलग पर मन तो सबका एक
राज्य अलग हों बेशक़ लेकिन देश हमारा एक।

तेरा मेरा इसका उसका, सबका सपना एक।
समय आ गया बैर भूलाकर हम हो जाएं एक।

अलग रंग है ,अलग वेश है,अलग-अलग परिवेश
रूप-रंग से किन्तु ऊपर अपना भारत देश।
विविधताएं हों जितनी किन्तु मेरे भाई देख
रंग रूप परिवेश भूलकर हम हो जाएं एक।

तेरा मेरा इसका उसका, सबका सपना एक।
समय आ गया बैर भूलाकर हम हो जाएं एक।

भारत के टुकड़े करने वालों को कर दें नंगा।
जाति धर्म के नाम पे अब न होने पाए दंगा।
किसी की बातों में न आना भाई मेरे देख।
धर्म जाति के नाम की रोटी कोई न पाए सेंक।

तेरा मेरा इसका उसका, सबका सपना एक।
समय आ गया बैर भूलाकर हम हो जाएं एक।

सबको अपना समझेंगे तो दूरी मिट जाएगी।
वैमनस्यता की ये गहरी खाई पट जाएगी।
ना होगा कोई हत्यारा ना बलात्कारी एक
भारत के बच्चे-बच्चे की बनेगी नीयत नेक।

तेरा मेरा इसका उसका, सबका सपना एक।
समय आ गया बैर भूलाकर हम हो जाएं एक।

© Kaushal