...

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हमे तुमसे प्यार कितना
हमे तुमसे प्यार कितना..
तुम ये कभी समझ न पाए ,
हर बार चेहरा ही देखा..
मन कभी पढ़ न पाए ।
कैसे करती मैं कुबूल इश्क़ को..
ज़माना बीच में था ,
शायद तुम्हें पाना नहीं मेरे ..
नसीब में था ।।
तन्हाई में तुम बिन हम..
ख़ुद को तड़पता पाए ,
जबसे रखा है इश्क़ की..
गलियों में कदम ।
हर बार गए हैं दुनिया से..
हम ठुकराए ,
फिर भी तुम आज तक..
प्यार को मेरे समझ न पाए ।। S.S.
Sarita Saini
स्वरचित
© Lafz_e_sarita
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