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अतीत की चादर ओढ़ कर
अतीत की चादर ओढ़ कर
ए वक़्त तू कहाँ चला
जन्म हुआ अभी-अभी
वर्षों जब तुम गर्भ में पला

तू ही था न वो जो
धूप में जला
वर्षा पड़ने पर भी
तू रहा यथावत नहीं गला
अतीत की चादर ओढ़ कर
ए वक़्त तू कहाँ चला
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