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हम ने लिक्खा है चाँद सा चेहरा...
अब के मौसम का ख़्वाब लिख देना
डाली डाली गुलाब लिख देना
हम ने लिक्खा है चाँद सा चेहरा
तुम उसे माहताब लिख देना
ख़ुद को लिखना कि पारसा हूँ मैं
मुझ को ख़ाना-ख़राब लिख देना
ज़िंदगानी के हर वरक़ पढ़ कर
रोज़-ओ-शब का हिसाब लिख देना
इर्तिक़ाई उरूज का हासिल
ख़ाना ख़ाना इताब लिख देना
फ़िक्र-ओ-फ़न के सफ़र पे निकला हूँ
ऐ ख़ुदा कामयाब लिख देना
जब भी गुज़रो सराब से 'नश्तर'
हर क़दम आब आब लिख देना
© राइटर.Mr Malik Ji....✍
डाली डाली गुलाब लिख देना
हम ने लिक्खा है चाँद सा चेहरा
तुम उसे माहताब लिख देना
ख़ुद को लिखना कि पारसा हूँ मैं
मुझ को ख़ाना-ख़राब लिख देना
ज़िंदगानी के हर वरक़ पढ़ कर
रोज़-ओ-शब का हिसाब लिख देना
इर्तिक़ाई उरूज का हासिल
ख़ाना ख़ाना इताब लिख देना
फ़िक्र-ओ-फ़न के सफ़र पे निकला हूँ
ऐ ख़ुदा कामयाब लिख देना
जब भी गुज़रो सराब से 'नश्तर'
हर क़दम आब आब लिख देना
© राइटर.Mr Malik Ji....✍
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