हौसला
दूर कही पर बैठा पंछी
ढूंढ रहा नित निज का ठिकाना
मिलता आसरा कुछ पल का ही
फिर से भटके होकर दीवाना
छूटी नही पर आस यह मन की
विफल प्रयासो के भी नस्तर
चुभ ही जाते है कही पर
फिर भी सुध बिसराकर पगला
हौसलो की उड़ान भरता।
ढूंढ रहा नित निज का ठिकाना
मिलता आसरा कुछ पल का ही
फिर से भटके होकर दीवाना
छूटी नही पर आस यह मन की
विफल प्रयासो के भी नस्तर
चुभ ही जाते है कही पर
फिर भी सुध बिसराकर पगला
हौसलो की उड़ान भरता।
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