शब ए हिज्र
छोड़ा सफर में अक्सर ही तन्हा मुझे
किसी ने भी किनारा ना दिया
समझा सबने बेजान सा सामान मुझे
कभी किसी ने मेरा तकाजा न किया
बनाया सबने अपना...
किसी ने भी किनारा ना दिया
समझा सबने बेजान सा सामान मुझे
कभी किसी ने मेरा तकाजा न किया
बनाया सबने अपना...