...

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यूं ही गुजर जाएं,
बड़े हिज्र के बाद आई हैं घड़ियां वस्ल की,
कितना अच्छा हो अगर ये वक्त ठहर जाए,

अब हम करें तारुफ या निहारते रहें तुमको,
नजरों की बातों में ये शाम न निकल जाए,

बेचैन हैं हम सुनने को कुछ तो कहो साकी,
ये चंद लम्हे मुहब्बत के न यूं ही गुजर जाएं,

ये...