कृष्ण और महाभारत
जो गाल में समा रखा है अपने पूरी सृष्टि को,
जो भाप जाते है हर नजर, हर बुरी दृष्टि को,
हो कंश, या रावण, जो दुर्योधन का भी काल बना,
नारायण से जो टकराया, वो भस्म हुआ कंकाल बना,
पहुंचे थे हस्तिनापुर वो, बनकर पांडवो के शांतिदूत,
दे दो बस पाँच ग्राम पांडवो को, हे कुरुवंश के...