सब्र ए ताब रखं, मैं फरिश्ता नही कोई
क़ुदरत-ए-ख़ालिक़ का क्या तमाशा देखू
खतावार ए बता तुझे किसकी दु्हाई दे दूं
मैने लोगो से तुझे ये कहते सुना हैं
वो कोई नही हैं मेरा, फकत पहचान में हूं
मैंने इबादत में मांगा था साफदिलं कोई,
तू नही हैं, फिरभी मुश्किल हैं उम्रभर कीं जुदाई दे दूं
तेरा दिलं अगर मेरा रिहाईश न बन सका
खुद से पहले तो, तेरी यादों को रिहाई दे दूं
सब्र ए ताब रखं, मैं फरिश्ता नही कोई
के जख्म खाकर भी हसदू, तुझे दुआयें दे दूं
© 🖋️दिलं-ए-जज्बात
खतावार ए बता तुझे किसकी दु्हाई दे दूं
मैने लोगो से तुझे ये कहते सुना हैं
वो कोई नही हैं मेरा, फकत पहचान में हूं
मैंने इबादत में मांगा था साफदिलं कोई,
तू नही हैं, फिरभी मुश्किल हैं उम्रभर कीं जुदाई दे दूं
तेरा दिलं अगर मेरा रिहाईश न बन सका
खुद से पहले तो, तेरी यादों को रिहाई दे दूं
सब्र ए ताब रखं, मैं फरिश्ता नही कोई
के जख्म खाकर भी हसदू, तुझे दुआयें दे दूं
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