...

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मंजर भी रोयेगा
मेरी क़त्ल की तलब मे
हो कर तरबतर
मेरे ही खून से
वो खंजर भी रोयेगा

जब होगी नीरवता
न कोई शोर न कोई
बियाबां दिखेगा हुजूम में
उठती हुई मेरी अर्थी का
वो मंजर भी रोयेगा

दिखावे करने वाले तुझे
मयस्सर न होगी
मुक्कमलियत
तू आज चाहे जितना हंस ले
बाद जाने के मेरे उतना
तू अंदर भी रोयेगा

कभी पोछेगा आँचल से आंसू
कभी तकिया भिगोएगा
मेरे मौत के तलबगार
मेरी आज की तरह देखना
तू कल भी रोएगा
तू कल भी रोयेगा

©akassh_Dev®

एक फॉलोवर्स से प्रेरित😂😂
© AkaSSH_Ydv_aqs