वक्त का क्या दोष था?
चिड़िया अपने आप ही पिंजरे में खड़ी हो गई ,
वो नन्हे पाँव चौखट से बाहर जाना बन्द हो गए शायद कही मैं बड़ी तो नही हो गई।।
कमर तक आती थी बापू के अब कंधे के बराबर खड़ी हो गई ,
पापा के आँखो की चश्मा...
वो नन्हे पाँव चौखट से बाहर जाना बन्द हो गए शायद कही मैं बड़ी तो नही हो गई।।
कमर तक आती थी बापू के अब कंधे के बराबर खड़ी हो गई ,
पापा के आँखो की चश्मा...