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कविता
एक कविता आपके मन का द्वार खटखटाती है
फिर चाहे आप अकेले हो या भीड़ में
स्याही- कलम के साथ हो या उसके बिना
वो उड़ती आती है कल्पनाओं के देश से
आपको झकझोरती, अतीत के प्रसंगों को छेड़ती
आपको अकेली रातों को उठाती- जगाती
प्रश्नों से सराबोर करती फिर आप
बाध्य हो जाते है लेखनी उठाने को
एक पल को जीवन्त कर देने के लिए
अमिट हस्ताक्षर हो जाते है आपके पन्नों पे
उस क्षण के साथ, टूट जाती है खामोशी
एक गहरी सांस लेकर ,तन बदन पिघल जाते है
और
उस क्षण आप अपनी जिंदगी लिख देते है
अपने मन के भावों को शब्दों के मायाजाल
में बांध देते है, सदा के लिए...
अमर हो जाते है आप भी उस कविता
के साथ, सदा के लिए.….
©jyoti_
© Jyoti Dhiman
फिर चाहे आप अकेले हो या भीड़ में
स्याही- कलम के साथ हो या उसके बिना
वो उड़ती आती है कल्पनाओं के देश से
आपको झकझोरती, अतीत के प्रसंगों को छेड़ती
आपको अकेली रातों को उठाती- जगाती
प्रश्नों से सराबोर करती फिर आप
बाध्य हो जाते है लेखनी उठाने को
एक पल को जीवन्त कर देने के लिए
अमिट हस्ताक्षर हो जाते है आपके पन्नों पे
उस क्षण के साथ, टूट जाती है खामोशी
एक गहरी सांस लेकर ,तन बदन पिघल जाते है
और
उस क्षण आप अपनी जिंदगी लिख देते है
अपने मन के भावों को शब्दों के मायाजाल
में बांध देते है, सदा के लिए...
अमर हो जाते है आप भी उस कविता
के साथ, सदा के लिए.….
©jyoti_
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