...

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जिक्र तुम्हारा
मोहब्बत का नाम लेते ही ज़िक्र तुम्हारा लबों पर आया है ।
आंखें खुली हो या बंद बस तेरा चेहरा निगाहों पर छाया है ।

तेरे पास आकर मिट जाते है ज़िन्दगी के सारे रंज-ओ-ग़म ।
सारे जहान का सुख प्रियतम हमने तेरी पनाहों में पाया है ।

जब भी हद से ज्यादा याद आती है तेरी, दिल थाम लेती हूं ।
हक़ीक़त में ना मिले अगर तू पास मेरे ख़्वाबों में आया है ।

सुकून दिल को मिल जाता ज़िक्र तुम्हारा जब भी आया ।
एक एक हसीन यादों का किस्सा मेरे ख्यालों में छाया है ।

ज़िक्र तुम्हारा करते ही ज़िन्दगी का हर लम्हा मुस्कुराता ।
खोकर तेरी मोहब्बत में हमने खुद को तेरे बाहों में पाया है ।