...

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खुद के लिए जीना
खुद के लिए जब से जीना शुरू किया सब दर्द जैसे पीछे छूट गए ।
लगने लगा सब हसीं जब से खुल के हसना शुरू किये ।
लगने लगे सब अजनबी भी दोस्त जब से खुद से दोस्ती करना शुरू किया।

लगने लगी दुनियां की सब राहें आसान जब से खुद के लिए नयी राह ढूंढना शुरू किया ।
लगने लगा हर पल खुशनुमा जब से खुद के साथ वक़्त बिताना शुरू किया ।
नहीं रही किसी से कोई उम्मीद जब से खुद से उम्मीद लगाना शुरू किया ।
अब नहीं रहा कोई दर्द जब से खुद को हमसफ़र बनाना शुरू किया ।

आराधना
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