...

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ज़िन्दगी में
ज़िन्दगी में
ग़म आया शरणार्थी की तरह
खुशी आई मेहमान की तरह
फरेब मिले समन्दर की तरह
प्यार मिला दो बूंद पानी की तरह
नाकामी मिली अर्श की तरह
कामयाबी मिली फर्श की तरह
पराये मिले भीड़ की तरह
अपने मिले खाली कुर्सियों की तरह
दर्द मिला भरी झोली की तरह
दवा मिली मुठ्ठियों में रेत की तरह
© सरिता अग्रवाल

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