...

10 views

ज़िद

उसकी तो शायद एक ज़िद ही थी ये
हर कोई बिन बोले उसको समझा करे।

मेरी भी तो एक ख़्वाहिश ये थी कि
वो जज़्बात अपने शब्दों में बयां करे।

ख़ामोशी से देखते राह एक दूजे की
इंतजार करते हैं, लेकिन न कहा करे ।

न तो दिल से निकालता है वो शख्स
न ज़िंदगी में शामिल वो किया करे।

© संवेदना 🌼