त्रिबेनिं माधवं सोम्यम् भाद्वाजं च वासुकिं वन्दे अक्षवट्म् शेषं प्रयागं तीर्थ नायकं
गंगा से प्रेम
त्रिवेणी की गोद में बसे माधव,
जहाँ सोम्य वासुकि करते निवास।
भाद्वाज की भूमि में अक्षयवट,
जहाँ शेषनाग गढ़ते इतिहास।
प्रयाग की पावन धरा का सिंगार,
गंगा का निर्मल, अविरल संचार।
शीतल धारा में प्रेम का प्रवाह,
मन को करे ये मोक्ष का...
त्रिवेणी की गोद में बसे माधव,
जहाँ सोम्य वासुकि करते निवास।
भाद्वाज की भूमि में अक्षयवट,
जहाँ शेषनाग गढ़ते इतिहास।
प्रयाग की पावन धरा का सिंगार,
गंगा का निर्मल, अविरल संचार।
शीतल धारा में प्रेम का प्रवाह,
मन को करे ये मोक्ष का...