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एक ऐसा कलयुग आएगा
एक ऐसा कलयुग आयेगा
जब मानव ही मानव को खाएगा,
जब जात के नाम पर इस दुनिया में
सभ कुछ लुटकर जायेगा,
एक ऐसा कलयुग आयेगा
जब मानव ही मानव को खायेगा।
खाना चुराना पाप लगेगा
सजा पाकर जाएगा,
कतल करेगा, फिर भी वो
जेल से बचकर जाएगा,
एक ऐसा कलयुग आएगा
जब मानव ही मानव को खाएगा।
धर्म के नाम पर बिकेंगे लोग
कूटनीति वो अपनाएगा,
ऋषि मुनि नही कोई
जो इस घोर संकट से बचाएगा,
एक ऐसा कलयुग आयेगा
जब मानव ही मानव को खाएगा।
इज्ज़त ना होगी बाप की
मां को भी तू फटकार लगाएगा,
संभाल गया तो अच्छा है
नहीं संभला तो तेरे पाप
का घड़ा भरता ही जाएगा,
एक ऐसा कलयुग आएगा
जब मानव ही मानव को खाएगा।
धोखा घड़ी से व्यापार चलेगा,
बड़ा आदमी ही राज करेगा
छोटे को कुचला जाएगा,
एक ऐसा कलयुग आयेगा
जब मानव ही मानव को खाएगा।
कोई अपना ही मार कर जायेगा
रोने भी वो ही आएगा,
नकली आंसु बहाएगा
और तुझे लुटकर वो जाएगा,
एक ऐसा कलयुग आएगा
जब मानव ही मानव को खाएगा।
👉 This Poetry Is Not Supported Any Kind Of hate About Any Religion, Cast, Gender.
ONLY FOR READING PURPOSE 👈
© G@u₹@v
जब मानव ही मानव को खाएगा,
जब जात के नाम पर इस दुनिया में
सभ कुछ लुटकर जायेगा,
एक ऐसा कलयुग आयेगा
जब मानव ही मानव को खायेगा।
खाना चुराना पाप लगेगा
सजा पाकर जाएगा,
कतल करेगा, फिर भी वो
जेल से बचकर जाएगा,
एक ऐसा कलयुग आएगा
जब मानव ही मानव को खाएगा।
धर्म के नाम पर बिकेंगे लोग
कूटनीति वो अपनाएगा,
ऋषि मुनि नही कोई
जो इस घोर संकट से बचाएगा,
एक ऐसा कलयुग आयेगा
जब मानव ही मानव को खाएगा।
इज्ज़त ना होगी बाप की
मां को भी तू फटकार लगाएगा,
संभाल गया तो अच्छा है
नहीं संभला तो तेरे पाप
का घड़ा भरता ही जाएगा,
एक ऐसा कलयुग आएगा
जब मानव ही मानव को खाएगा।
धोखा घड़ी से व्यापार चलेगा,
बड़ा आदमी ही राज करेगा
छोटे को कुचला जाएगा,
एक ऐसा कलयुग आयेगा
जब मानव ही मानव को खाएगा।
कोई अपना ही मार कर जायेगा
रोने भी वो ही आएगा,
नकली आंसु बहाएगा
और तुझे लुटकर वो जाएगा,
एक ऐसा कलयुग आएगा
जब मानव ही मानव को खाएगा।
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