तुम ,हम और फिसलता वक़्त
बैठे हों हम जैसे सागर किनारे।
नहीं कोई बस नज़दीकियाँ हो बीच हमारे॥
रोक लो इस जाते हुए पल को।
क़ैद कर लो सूरज को इन हथेलीयों में ,
रह जायँ बस आज में...
नहीं कोई बस नज़दीकियाँ हो बीच हमारे॥
रोक लो इस जाते हुए पल को।
क़ैद कर लो सूरज को इन हथेलीयों में ,
रह जायँ बस आज में...