...

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ek sham....
करके गुलाबी शाम तेरे नाम,
उदासियों से जाम छलकाते हैं,

बहकते हैं क़दम दिन भर आवारागर्दी मैं,
तेरी गली आते ही सारे आदाब सिख जाते हैं,

सब कुछ पाकर ज़िन्दगी मैं फिर,
तेरी तमन्नाओ मैं हाथ मलते जाते हैं,

शोख ज़िन्दगी में रहे बहोत मगर,
तेरे दीदार के आगे एक ना टिक पाते हैं,

आगे बढ़ गये सफर में बहोत फिर,
मंज़िलों से सुन के नाम तेरा मुँह छुपाते हैं,

सजा के महफ़िलें उनकी यादों की सुकून पाते हैं "जावेद"
फिर ये ठन्डे एहसास दिल को बहोत जलाते हैं...
© y2j