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शीर्षक- स्वार्थी दुनिया
शीर्षक- स्वार्थी दुनिया
दुनिया बहुत स्वार्थी है, दूजों के सपने चुराती है।
अपने को होनहार दिखाने के लिए, दूजों को नीचा दिखाती है।
खुदका स्वार्थ साधने को बहुत मीठा- मीठा बोलती है,
तुम्हारे सपने चुरा कर यह, होड़ में तुम्हारी दौड़ती है।
तुम्हें पसंद हो लिखना, तो तुम्हारा लिखा उन्हें कभी पसंद नहीं आएगा,
तुम्हारी होड़ से वो लिखेंगे, तो बड़ी शान से प्रेषित किया जाएगा।
तुमसे अच्छे हैं वो बार- बार यही कहते रहेंगे,
पर एक बात सच है की ऐसे लोग हमेशा सिर्फ दूजों की नकल ही करते रहेंगे।
जिन सपनों को तुमने अपने दम पर पूरा किया,
वो सपने कोई तुमसे चुराना चाहे तो आवाज उठाओ।
तुम्हें न समझे जो तुम उसे और अपना समझने की भूल मत करो, उसे और न समझाओ।
जो तुम्हारे अपनापन का फायदा उठा कर तुम्हारे सपने चुराए,
बेहतर है ऐसे अपनों से दूर ही रहा जाए ।
तुम अपनी मेहनत से जिस कामयाबी पर पहुँचे हो उस संघर्ष को कभी मत भूलना,
अपने सपनों को चुराने वालों से दूर ही रहना,
जो होड़ कर रहे हैं तुम्हारी, बो वही हैं जो तुमसे चिढ़ते हैं,
उन्हें पहचानो और आंगे बढ़ो, दूसरों के सपने चुराने वाले कभी भी आँगे नहीं बढ़ते हैं।
रिया दुबे
Ig- thoughtforourmind
(24/05/2023)
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