शहर पूरा अच्छाई से भरा तो नहीं
शहर पूरा अच्छाई से भरा तो नहीं
यहां भी गुनाह ए दस्तूर होता हैं
दिखावें शौक से हर दिन ज्यादा
दिल में इक दूजे को गिराने का फितूर होता है
बेटा बड़ा हुआ तो अहमियत दिल में बदल गई
फ़िर मां बाप का दिल वृद्ध आश्रम जानें को मजबूर होता हैं
सिर्फ़ गांवों में नहीं होते सितम नारी पर
यहां भी बिना बंदिशों की जिंदगी से घर उनका दूर होता हैं
दौलत वालों का दिल से ग़रीब होना
और ग़रीब का दो वक्त...
यहां भी गुनाह ए दस्तूर होता हैं
दिखावें शौक से हर दिन ज्यादा
दिल में इक दूजे को गिराने का फितूर होता है
बेटा बड़ा हुआ तो अहमियत दिल में बदल गई
फ़िर मां बाप का दिल वृद्ध आश्रम जानें को मजबूर होता हैं
सिर्फ़ गांवों में नहीं होते सितम नारी पर
यहां भी बिना बंदिशों की जिंदगी से घर उनका दूर होता हैं
दौलत वालों का दिल से ग़रीब होना
और ग़रीब का दो वक्त...