...

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ये हवाएं तेरे संग मिल मुझसे खेल रही थी
धुँधली धुँधली सी छवी थी
तेरी या किसी और की
पहचानने की कोशिश में
मैं लगी थी,

दिल तेजी से शोर कर रहा था
थोड़ा थोड़ा डर भी रहा था
तू हकीकत है या कोई ख्वाब
देखने मैं तेरी ओर बड़ रही थी,

आहट सुन तू गुम न हो जाए
ख़्वाब बन तू टूट ना जाए
इसी खौफ़ में मैं दवे पांव
तेरी ओर चल रही थी,

जितनी आगे मैं बढ़ती गई
उतनी दूर तू होती गई
मैं इस असमंजस में पड़ी
कहीं तू मुझसे ना रूठी
या मुझसे कोई भूल हो रही थी,

कदम अपने रोक मैंने
आंखें बंद कर ली
एक लम्हा बीता
आंखें खुली
दिल को खबर मिली
ये हवाएं तेरे संग मिल
मुझसे खेल रही थी।


© Sankranti chauhan