...

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इंतजार करते रहे
सुबह से शाम और शाम से रात हो गई ,
पर उस दिन नही मिलने आए तुम हमसे।

करते ही रह गए देर रात तक हम इंतजार ,
तुम्हारा पर तुम ना आए मिलने हमसे।

मेरी रातों की नींद और इस दिल का। ,
सुकून सब कुछ तो छीन लिया है तुमने।

दूर चले गए हो तो दूर ही रहो तुम हमसे ,
अब हम भी नहीं मिलना चाहते हैं तुमसे।

एक पल ना लगा तुम्हें छोड़के जाने में क्या ,
ज़रा सा भी ख़्याल ना आया हमारा तुमको।

अब किस हक से वापस आए हो लौट के ,
जब अपनी मर्जी छोड़ गए थे तुम हमको।

एक बार भी नही सोचा हमारे बारे में तुमने ,
अब किस हक से बात कर रहे तुम मुझसे।