...

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छलावा
रुप का छलावा कारण बन
सीता का हरण कराया था
मारीच ही था जो स्वर्ण मृग बन आया था
झूठी माया झूठी काया का राज़ जिस मन ने जाना
प्रभु भक्ति मे वो ही शख्स पागल दीवाना कहलाया
नामदेव ने श्वान मे जब प्रभु के रुप को जाना
ले कटोरी घी की वो दौड़े प्रभु सूखी रोटी मत खाना
शत शत नम ऐसे भक्त और भगवान को
रुप का छलावा मत करना जपते रहना भगवान को

© मधुशिल्पी