...

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हे भगवान तू है कहां ?
इस दर्द भरी दुनिया में मुझे किसने बुलाया है ,
या खुदा तूने हमे ऐसे क्यों भुलाया है ,
क्या जुल्म किया है हमने ,
जो इन दरिंदो ने हमे ऐसे जलाया है ।।

तेरे पुराणों में लिखा है ,
जैसा जिसका कर्म है वैसा उसने पाया है ,
जब मैंने कुछ गलत नहीं किया तो ,
ये दर्द दरिंदगी का वक्त मेरे जीवन में क्यों आया है ।।

ऐसा क्या राज तूने मेरी योनि में छुपाया है ,
जो जानने ये दरिंदा आया है ,
अपनी हवश मिटाने इसने मुझे मिटाया है ,
बिना गलती के इन लोगो ने मुझे पिंजरे में क्यों बिठाया है?

बेपर्दा तो वह भी हुआ था ,
फिर मेरी ही इज्जत क्यों उड़ी ,
आखिर सवालों भरी नजरे ,
उस दरिंदे पर क्यों नहीं पड़ी ।।

दर्द मैंने सहा , रक्त मेरा बहा ,
फिर भी वो दरिंदा आजाद है वहां ,
हे भगवान तू है कहां ।।

इंतजार है कि तू न्याय दिलाएगा ,
जैसे मेरा बदन जला वैसे इनका भी जलाएगा ,
खून के आसूं उन्हें भी पिलाएगा ,
फिर नहीं मेरे जैसी नारियो को भूलाएगा ।।



© रूप(R.G.H.)