तुलसी...
दैत्य कुल में जन्मी थी
पर दैव्य गुण से परिपूर्ण थी
पतिव्रता की मूरत थी
सतीतत्व बनी पहचान थी
फिर भी एक स्त्री ही थी
छली नारायण से गयी थी
सतीत्व हनन की दोषी थी
बनी सती होना नियति थी
सत का फिर भी तेज था
नारायण पर शाप मान्य था
तुलसी कहो या कहो वृंदा
सालिगराम संग रहे सदा
घर द्वार से वो आज भी दूर है
पर सत स्वरूप गुण परिपूर्ण है
© * नैna *
पर दैव्य गुण से परिपूर्ण थी
पतिव्रता की मूरत थी
सतीतत्व बनी पहचान थी
फिर भी एक स्त्री ही थी
छली नारायण से गयी थी
सतीत्व हनन की दोषी थी
बनी सती होना नियति थी
सत का फिर भी तेज था
नारायण पर शाप मान्य था
तुलसी कहो या कहो वृंदा
सालिगराम संग रहे सदा
घर द्वार से वो आज भी दूर है
पर सत स्वरूप गुण परिपूर्ण है
© * नैna *