...

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बहुत सताते हो.....…
बारहा तुम मुझे सताते हो,,
आरी दिल पे मेरे चलाते हो,,

गाहे गाहे ही मिलते हो मुझसे,,
इश्क़ क्या सोच कर निभाते हो,,

इन्तज़ारी करेंगें पर कब तक,,
प्यार के हर निशां मिटाते हो,,

वक़्त की धूल जम रही दिल पर,,
इश्क़ मिट्टी में तुम दबाते हो,,

ग़ज़ल में अब तुम्हें पिरो दूँगा,,
ये तग़ाफ़ुल किसे दिखाते हो,,??

गाहे गाहे -कभी कभार
बारहा- बार बार
तग़ाफ़ुल- नज़र अंदाज़ करना
*विकास जैन व्याकुल*
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