मज़दूर बाबू !!!
उसकी आँखों की झपकी बताती है
की अब रात हो चुकी है
थकान सर पर यूँ मँडरा रहा है
जैसे अब ये बोझ मुझसे चलेगा नही
बिस्तर तो अभी दूर है
नहायेगा , खायेगा , तब तो सोयेगा
जैसे कोई मुर्दा हो ।।
सुबह सूरज से पहले उठ...
की अब रात हो चुकी है
थकान सर पर यूँ मँडरा रहा है
जैसे अब ये बोझ मुझसे चलेगा नही
बिस्तर तो अभी दूर है
नहायेगा , खायेगा , तब तो सोयेगा
जैसे कोई मुर्दा हो ।।
सुबह सूरज से पहले उठ...