16 views
सफर है अकेला संभल कर चलो तुम
सफर है अकेला संभल कर चलो तुम
मंजिल तुम्हारी कहीं छूट न जाए
रिश्ते अनमोल है निभाते चलो तुम
अपना कोई धोखे से छूट न जाए
कदम कदम पर दुशमन
बैठा है जाल में बिछाकर
संभल संभल के चलना
कोई पैर तुम्हारा फसना जाए
© Akash shri vastav
मंजिल तुम्हारी कहीं छूट न जाए
रिश्ते अनमोल है निभाते चलो तुम
अपना कोई धोखे से छूट न जाए
कदम कदम पर दुशमन
बैठा है जाल में बिछाकर
संभल संभल के चलना
कोई पैर तुम्हारा फसना जाए
© Akash shri vastav
Related Stories
14 Likes
0
Comments
14 Likes
0
Comments