...

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सफर है अकेला संभल कर चलो तुम
सफर है अकेला संभल कर चलो तुम
मंजिल तुम्हारी कहीं छूट न जाए
रिश्ते अनमोल है निभाते चलो तुम
अपना कोई धोखे से छूट न जाए
कदम कदम पर दुशमन
बैठा है जाल में बिछाकर
संभल संभल के चलना
कोई पैर तुम्हारा फसना जाए
© Akash shri vastav