पल भर के लिए क्यों प्यार किया।
पल भर के लिए क्यों प्यार किया,
जो रोना पड़ा अधूरी कहानी में।
ना किया सही से प्यार मेरे साथ,
ओर फूंक दिया प्यार का घर जवानी में।
तुम मतलबी यार निकला साथी,
जो मुझे प्यार से अपना लिया।
सामने होकर बेवस कर दिया, अपनी बातों में।
मै नहीं बन पाए अगर तुम्हारे गुलाम, तो पीछे से खंजर घोप दिया।
गति तुम्हारी और मत गई जो छोड़ दिया।
विश्वास किए बैठा था तुम पर।
आग लगा दी विश्वास पर मेरे तुमने।
सिर्फ़ राख बची है, तुम्हारे लपट में जलकर।।
ख्वाहिश ना रही तुमसे, अब फिर से मिलने की।
अब टूट चुका हूं मैं, तुम्हारे साथ होने पर।
पत्थर का दिल था तुम्हारा सनम, जो पिघला नहीं।
चोट दिया ऐसा तुमने, जो दिन कटता रोकर।।
तुम बेवफ़ा साथी बनी, जो जिद कर के निकल गई।
कुछ हाल ना पूछा दिल के मेरे, अपना समझकर।
इसमें मेरा ही क्या कसूर था, साथ- साथ में।
जो गुमसुम होकर छोड़ दिया, ना देखा मुड़कर।।
© writer manoj kumar❤️💔🖊️
जो रोना पड़ा अधूरी कहानी में।
ना किया सही से प्यार मेरे साथ,
ओर फूंक दिया प्यार का घर जवानी में।
तुम मतलबी यार निकला साथी,
जो मुझे प्यार से अपना लिया।
सामने होकर बेवस कर दिया, अपनी बातों में।
मै नहीं बन पाए अगर तुम्हारे गुलाम, तो पीछे से खंजर घोप दिया।
गति तुम्हारी और मत गई जो छोड़ दिया।
विश्वास किए बैठा था तुम पर।
आग लगा दी विश्वास पर मेरे तुमने।
सिर्फ़ राख बची है, तुम्हारे लपट में जलकर।।
ख्वाहिश ना रही तुमसे, अब फिर से मिलने की।
अब टूट चुका हूं मैं, तुम्हारे साथ होने पर।
पत्थर का दिल था तुम्हारा सनम, जो पिघला नहीं।
चोट दिया ऐसा तुमने, जो दिन कटता रोकर।।
तुम बेवफ़ा साथी बनी, जो जिद कर के निकल गई।
कुछ हाल ना पूछा दिल के मेरे, अपना समझकर।
इसमें मेरा ही क्या कसूर था, साथ- साथ में।
जो गुमसुम होकर छोड़ दिया, ना देखा मुड़कर।।
© writer manoj kumar❤️💔🖊️