...

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पतंगबाज!
पेंच आंखों से लडे,और
हम खड़े-खड़े हवा हो गये
नज़रों के करारे मांजे से कटकर
दिल दोनों के सफ़ा हो गये।

ख़बर लगी जब औरों को
जल-भुनकर ख़फा हो गये
पतंग-मांजा समेटकर अपना
दूसरी छत पर दफा हो गये।

जरा संभलके,ठुमक-ठुमके उडो
चांद-परीयल...