💔💔कैसे लिखूं ख़ुद को 💔💔
जब जब ख़ुद को लिखूंगी
हर शब्द पर कराह उठूंगी
हर ज़ख़्म पर चीख उठूंगी
कौन यहां अश्रु पोंछ पाएगा,
जब आंखों से ज़ख़्म बहेंगे
रोएगी कलम हर्फ तड़पेंगे
काग़ज़ भी आह कहेगा
मरहम कम पड़ जाएगा,
क्या कुछ न छूटता रहा
सब जाते हुए देखते रहे
हो बेबस तड़प कराह उठी
नहीं...