...

12 views

चाँद कितना गोल है
खामोश है शब्दों के नभ,
खामोशियो के बोल है,

ये चाँद कितना गोल है...
ये चाँद कितना गोल है...

हर एक किरण में रोशनी,
और चाँदनी हर ओर है,

ये चाँद कितना गोल है...

नभ है कही पुलकित हुआ,
पर धरा अभी बेडौल है,

ये चाँद कितना गोल है...
ये चाँद कितना गोल है...

मूक है लफ़्ज़ों के शब्द,
और बोलती खामोशियाँ,
है निशा एक शोक में,
विपरीत है सरगोशियाँ,

वायु के झोको में छुपा
एक अनसुना सा शोर है,

ये चाँद कितना गोल है...
ये चाँद कितना गोल है।।

#रात #hindi #hindipoem #hindipoetry #hindipoets

© Vivek