क्या लौट आएंगे वो पल
#YearEndEchoes। जिसको हमने इस दिल से लगाया, जिसके लिए हमने इतना दर्द पाया। जिसके लिए मांगी थी लाखों मन्नते हमनें, जिस की खातिर खुद अंधेरे में रह कर उज्ज्वल भविष्य बनाया। जिसके लिए बन कर रहता था साया, जिसको अपना खुदा बनाया। जिनकी एक खुशी के लिए जी जान लगा देते थे, ना चाहते हुए भी अपना लहू बहा देते थे। जिसकी एक छवि देखने को ये दिल उमड़ सा जाता था। ना नींद आती थी, ना भूख लगती थी बस उमड़ के ये सपने में इस दिल का बेइकरार आता था। तुमसे बातें करने का ये दिल करता था, लेकिन मेरा दिल कमज़ोर था जो कहने से डरता था। आपके आने से खुशहाल होती हर सुबह और रोशन रहता ये सवेरा था। पता...