...

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dil ki farmayish
आज न जाने क्यों ये दिल
उन निगाहों का सहारा ढूंढ रहा है
जो कभी उसे नसीब न हुए

फक़त ये मुस्कान भी
लबों पे जम सी गई है
नम आंखों को थोड़ा
रोने का सहारा मिल गया है

कहा तो था हंसते हंसते उसने
के तुम्हें कभी जरूरत नहीं पड़ेगी
मेरे कांधे के अलावा
आज सच में उस कांधेे पर
आंसुओं को बिछाने को दिल हो रहा है

बिन बोले हर लब्ज़ को पहचान लेना
बिन छूए हर एहसासों को समेट लेना
आज सच में उन बाहों में
टूट जाने को दिल हो रहा है।

© Meraki $