...

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कोई बात नहीं
वो खामोश बैठी है ऐसी कोई बात नहीं,
हँसी में उड़ा दो ऐसी कोई सौगात नहीं,
लव्जों में बंया कर सको एसा उसका मिजाज नहीं,
वो फिर भी कहती है चलो जाने दो कोई बात नहीं।

वो उड़ना चाहती थी उड़ने को पंख कहा,
चलना चाहती थी तो चलने को ज़मीन कहा,
वो काग़ज़ के पन्नो पे कहानी बनती चली गई,
कुछ राज़ अपने ही अंदर बुनती चली गई,
अकेली बंद रूह में ढलती चली गई,
उसकी हँसी भी पूछ लेती थी क्यों उदास बैठी है,
वो फिर यही कहती, चलो जाने दो कोई बात नहीं।

वो जीने को तरसती रही, एक घुटन में मरती रही,
ख्वाबो की कश्ती मे डूबती रही,
ना सूरज ना सवेरा, बस अंधेरा ही अंधेरा,
वो खुदसे यही पूछती रही।
ऐ जिंदगी कुछ तो रहम कर, उसे थोड़ा तो रहने दे अमर,
वो साथ तेरा पायेगी नहीं और तु उसे रुलायेगी नहीं।
कर ले ये सौदा की तु उसे तरसायेगी नहीं, और वो तुझे कभी अपनायेगी नहीं।

वो तुझसे अब डरती नहीं,
हर फूल की तरह वो खिलती नहीं,
अपनी ही कहानी में वो मिटटी नहीं,
वो फिर यही कहती हैं, चलो जाने दो कोई बात नहीं,
वो फिर यही कहती हैं, चलो जाने दो कोई बात नहीं।
© Zindagi_sona