अल्फाज़ "
बेरंग सी इस दुनिया में, एक रंगों सा ख्याल किसी पल आता हैं।
हर दिन भुलाते भुलाते, दुगना मुझे वोह याद आता हैं।
कितना ही अज़ीज़ प्यारा हो कोई, एक दिन जरूर छोड़ जाता है।
बड़ी सुकून बागबान सी है ज़िन्दगी, मगर कभी तोह उदासी सा मोड़ आ ही जाता हैं।
जब भी सोचु अभी आराम हैं, पता नहीं कहा से प्रसानियों का हजुम उमड़ आता है।
जाना चाहु चुपके जिदर भी, संग संग...
हर दिन भुलाते भुलाते, दुगना मुझे वोह याद आता हैं।
कितना ही अज़ीज़ प्यारा हो कोई, एक दिन जरूर छोड़ जाता है।
बड़ी सुकून बागबान सी है ज़िन्दगी, मगर कभी तोह उदासी सा मोड़ आ ही जाता हैं।
जब भी सोचु अभी आराम हैं, पता नहीं कहा से प्रसानियों का हजुम उमड़ आता है।
जाना चाहु चुपके जिदर भी, संग संग...