...

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अल्फाज़ "
बेरंग सी इस दुनिया में, एक रंगों सा ख्याल किसी पल आता हैं।
हर दिन भुलाते भुलाते, दुगना मुझे वोह याद आता हैं।
कितना ही अज़ीज़ प्यारा हो कोई, एक दिन जरूर छोड़ जाता है।
बड़ी सुकून बागबान सी है ज़िन्दगी, मगर कभी तोह उदासी सा मोड़ आ ही जाता हैं।
जब भी सोचु अभी आराम हैं, पता नहीं कहा से प्रसानियों का हजुम उमड़ आता है।
जाना चाहु चुपके जिदर भी, संग संग मेरे साथ आता हैं।
दुनिया का दस्तूर हैं बेडंगा सा, जो हैं सच्चा वही मारा जाता हैं।
कुछ इस कद्र भी हो जाती है परीस्थितिया, के हार के भी कभी जीता जाता है।
जो लिखा है वही होगा, सोचते है जो वोह कहा पाना है।
चड़ती डोरियो को काट देता है, बड़ा छोटी सोच जमाना है।
मार मन अपना बड़े बेटे को भी, ये घर बसाना है।
बेटी को भी लाज रख बाबुल की, किसी और का घर साजना है।
कोई तोह दिन आयेगा, जब पाप का गडा सारा भर जाना है।
चैन नहीं सारी उम्र तुझे,बता साथ क्या ले जाना है।
खुश रह, हस्ता बस्ता रह, एक दिन चलते चलते पता नहीं कब मर जाना है।।
© मिक्की"