...

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"दिल की बाते , सिर्फ़ दिल ही जानता है,,
तुम दूर हो तो क्या हुआ, लेकिन दिल के पास हो,
तुम्हे दर्द होगा, तो क्या मुझे नहीं होगा।
जो कुछ होगा हम दोनों के फासले में,
मिट नहीं पाएगा, दाग़ बनकर रहेगा।


तुम जो सोचोगी मेरे बारे में, तन्हा रहकर।
आवाज़ आएगी मेरे दिल की धड़कन तक।
लाख छुपाओ तुम मेरे बारे में,
जो जुड़ा है मेरे दिल के तार, वहीं पहुंचाएगा धड़कन तक।


खफा नहीं कर सकता कोई,हम दोनों को,
जो जुड़ गया है तार, कोई तोड़ नहीं सकता है।
तुम वहां से कुछ बोलोगी, तो यहां तक सुनाई पड़ेगा ।
छिप भी नहीं सकती तुम्हारी गुमसुम बाते,
जो तुम्हारा दिल संदेशा पहुंचता है।



तुम समझो या ना समझो ,इन हलातों को,
दिल की बाते सिर्फ़ दिल ही जानता है।
तुम्हारी सांसे जो गुज़रे इन राहों में, मजबूर होकर,
आहट मेरे दिल तक पहुंचेगा, बस यहीं वो जानता है।


© writer manoj kumar