...

11 views

क्या काम का आदमी है
वाह, क्या काम का आदमी है!
सुबह उठता है और आँख मलते हुए
पंखा झलते ही शौचालय पहुंच जाता है;
पूर्ण सक्रियता के साथ, सब्जी काटने में मशगूल;
सजगता लिए, रोटियां सेकने में माहिर;
समय का सदुपयोगी;
पलक झपकते ही खा जाता है।
क्या काम का आदमी है!


ठीक से देखा भी कि नहीं?
कपड़े सजकर तैयार- बिल्कुल औपचारिक;
साथ में एक बैग, कलम चार,
कागज न छूट जाए कहीं- एकदम सावधान;
बस पकड़ने को सौ फीसदी स्फूर्त;
पड़ाँव पर धक्का-मुक्की खाता है।
दूरद्रष्टा की तरह, सड़क पर नजरें तीखी सामने।
क्या काम का आदमी है!

ऑफिस पहुंचने पर भी
अपनी आवाज पै शासन,
और पांव-हाथ पर भी-
जिसे कहते हैं अनुशासन!
एकाग्रचित्त हो टेबल में लग जाता है।
क्या काम का आदमी है!

संकल्प: कर्तव्य पूरा करने का
या चाय-पानी पिलाने का,
- वरिष्ठ के आदेश में, जिसे कहते हैं विनम्रता।
दूरदर्शन से रहता है दूर
बिल्कुल सभ्य की तरह
और लगनशील जैसे-
राशन लाने और आसन लगाने की लगन में;
गंभीर संत की तरह मौन होकर तुष्टि पर
विश्राम पा जाता है!
क्या काम का आदमी है!!

बस, मेरी ही नजर में
वह थोड़ा-मोड़ा जानता है
आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और आत्मशोषण।
वो, नाम का आदमी है!!



© शैलेंद्र मिश्र 'शाश्वत' १२/०१/२०१४