मेरी कहानी...
मैंने जो कहानियां लिखीं, उनमे से कुछ मिलती मेरी कहानी से,
मैं सोचता हूँ तृष्णा शांत हों जाए, मग़र प्यास बुझती नहीं अब पानी से !
की मैं जिन लोगों के, क़रीब हुआ करता था कभीं ग़म-गुसारी को,
आज उन सब से इस दुनिया...
मैं सोचता हूँ तृष्णा शांत हों जाए, मग़र प्यास बुझती नहीं अब पानी से !
की मैं जिन लोगों के, क़रीब हुआ करता था कभीं ग़म-गुसारी को,
आज उन सब से इस दुनिया...