सलिल बूंद या सागर सार
// #सलिल_बूंद_या_सागरसार //
सलिल की एक बूंद हूं या सागर का सार,
क्षण हूं जीवन के आधार का या पारावार;
जीवन ताप हूं या शीतल छांव का करार,
पुन: जन्म लेता हूं मिल माटी में बार- बार।
अधर्म अंधकार में ढूंढता हूं धर्म के चिराग,
असत्य अगम वन ढूंढता सत्य पुष्प पराग;
निशा तम में...
सलिल की एक बूंद हूं या सागर का सार,
क्षण हूं जीवन के आधार का या पारावार;
जीवन ताप हूं या शीतल छांव का करार,
पुन: जन्म लेता हूं मिल माटी में बार- बार।
अधर्म अंधकार में ढूंढता हूं धर्म के चिराग,
असत्य अगम वन ढूंढता सत्य पुष्प पराग;
निशा तम में...