जाने क्यूं
जाने किस बात से हारी हूं,
ए जिंदगी जाने क्यूं फिरती बेचारी हूं।
हालात इतने भी बुरे नहीं मेरे,
फिर भी जाने क्यूं मैं हारी हूं।
कहते है वक्त सब सही कर देता है,
पर जाने क्यूं वक्त मुझपे इतना भारी है।
है किस्से सभी के अपने,
दर्द मुझसे भी ज्यादा है।
फिर भी जाने क्यूं इतनी मैं हारी हूं,
ए जिंदगी जाने क्यूं फिरती बेचारी हूं ।।
© Atika
ए जिंदगी जाने क्यूं फिरती बेचारी हूं।
हालात इतने भी बुरे नहीं मेरे,
फिर भी जाने क्यूं मैं हारी हूं।
कहते है वक्त सब सही कर देता है,
पर जाने क्यूं वक्त मुझपे इतना भारी है।
है किस्से सभी के अपने,
दर्द मुझसे भी ज्यादा है।
फिर भी जाने क्यूं इतनी मैं हारी हूं,
ए जिंदगी जाने क्यूं फिरती बेचारी हूं ।।
© Atika