...

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मैं भूली नहीं
मैं भूली नहीं
पहली मुलाक़ात हमारी।।
मैं भूली नहीं
वो रात जिसमें हुई थी बात हमारी।।
मैं भूली नहीं
मदिरा के महफ़िल में सजी
जज़्बातों से घिरा वो इज़हार तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
वो भीड़ में हाथ थामना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
बातों ही बातों में मुझे
वो बहलाना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
मेरे साथ घूमना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
पैसों की गर्मी तुम्हारी।।
मैं भूली नहीं
उन आँखों को।।
मैं भूली नहीं
तुम्हारे बस जिस्म की चाह को।।
मैं भूली नहीं
मेरे नज़रों में किसी और को पाना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
नशे में किसी और को मेरे में खोजना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
रोज़ मेरे आगे किसी और को याद करना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
मुझे वक़्त न देना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
सिहरण देना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
मेरे ही बदन में
किसी और को टटोलना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
की मुझे बेपनाह मोहब्बत थी तुमसे।।
मैं भूली नहीं
माफ़ी के अंधेरों में गुस्ताखी तुम्हारी।।
मैं भूली नहीं
बिन बोले कई बार जाना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
रिश्ते को नाम देकर भी
उस पर भरोसा नहीं तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
हर दिन मुझे तोड़ना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
मज़ाक़ मज़ाक में सच कहना तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
झूठी झप्पी तुम्हारी।।
मैं भूली नहीं
गंदे थूक से सनी पप्पी तुम्हारी।।
मैं भूली नहीं
गंदे सोच की परत तुम्हारी।।
मैं भूली नहीं
दीवानगी मेरी और उस पर यकीन तुम्हारा।।
मैं भूली नहीं
उस दीवानगी में नकाब लिए
फिज़ूल-ए-जिस्म की चाह तुम्हारी।।
मैं भूली नहीं
झूठी तसल्ली तुम्हारी।।
मैं भूली नहीं
तुम्हारा कुछ भी,
ना झूठे एहसास
ना झूठे बहाने तुम्हारे।।
याद है सब कुछ
क्योंकि थे तुम
पहली मोहब्बत हमारे।।

© KALAMKIDIWANI