थोडा हकीकत मे मानता था
ना किसी भ्रम में, ना किसी ग़म मे,
मे थोड़ा हकीकत मे मानता था l
ना मे किसी का दिवाना,
ना मे किसी का दुश्मन,
थोडा अपनी सलामती में मानता था l
ना ना...
मे थोड़ा हकीकत मे मानता था l
ना मे किसी का दिवाना,
ना मे किसी का दुश्मन,
थोडा अपनी सलामती में मानता था l
ना ना...