...

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मेरी मां
खुद को भी ना संभाल पाने वाली
आज पूरा घर संभाल रही है,
हर बात पर बच्चो की तरह जिद करने वाली
खुद के तीन बच्चो को पाल रही है।


कुछ गलत कर दो तो काली बन जाती है,
फिर खुद ही रो रोकर मेरे सिरहाने सो जाती है,
मेरी मां को कहा नीद आती है।


गुस्सा हो जाओ तो मनाने भी नहीं आती है,
मुझे आत्मनिर्भरता सिखाने के लिए कठिन मार्ग अपनाती है।


मेरी मां ने आज तक नहीं बताया मुझे दुनिया खुशियों से भरी मिलेगी,
हमेशा कहती रहती है जब तक संघर्ष नहीं करोगी जिंदगी खुशहाल कैसे रहेगी।


मेरी जीत पर खुश तो बहुत हो जाती है,
पर पता नहीं क्यूं, थोड़ा कम सा ही मुस्कुराती है।


मेरे भविष्य की चिंताओं ने उसे इतना घेर लिया है,
उसने अपनी जिंदगी को खुल कर कभी नहीं जिया है।


मेरा विश्वास उस पर इतना अटूट है, वो मुझे झूठे सपने नहीं दिखलाती है,
मेरी मां मुझसे बड़ा प्यार करती है बस हर पल नहीं बतलाती है।