...

5 views

अभी तो
अभी तो गुज़री है मेरे ख्वाबों की गलियों से वो
मैंने उसकी खुशबू को सांसों में समा लिया है
मुझे गले लगा कर कभी कभी
बहुत रोती है वो

कभी कहती है खुश हूँ
कभी तन्हा लगती है वो
जब मेरी नटखट शरारतों से तंग आ जाती है
फिर मुझे कन्हा कहती है वो

मैं पायल ले आया उसके लिए
मुझे एक टक देखती रहती है वो
सुबह मेरे होठ गुलाब से महकने लगते है
लगता है मेरी तस्वीर को
रात में चुमती है वो

मेरा जीवन उसकी पलकों तले गुज़रता है
मुझ मुसाफ़िर का सहारा है वो
उसकी गलियों में ही मिलता है सुकून मुझको
मेरी गमों की दवा है वो

मैं किसी भी राह से गुज़रता हूँ
उसकी गलियों में पहुँचता हूँ
मेरी जिंदगी है वो
मैं तो बेखबर हूँ अपने पते से
मेरा आखिरी पता है वो
© All Rights Reserved