बुढ़ी माँ
एक बुढ़ी माँ के चहरे पर, सुखी मिट्टी के जैसी पापड़ जमी है।
उसका कोई नहीं हैं, इसी लिए वो किसी और की चोखट पर,
भूखी सेहमी सी...
उसका कोई नहीं हैं, इसी लिए वो किसी और की चोखट पर,
भूखी सेहमी सी...