...

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दिल की खुशियाँ...
पता नही, किस जाल मे फसी जा रही हूँ,
दिल की ये उलझन खुद्को ही बताती जा रही हूँ I
दिमाग है की मानता नही, दिल है की सुनता नही,
क्या होगा कल, किसिको मालूम नहीI
फिर, ये बैचैनी का क्या फायदा?
खुशी से मनमुराद जिलो भलाI
छोटे-छोटे पल की ये खुशियाँ
सुंदर बनाती है सबका जहाँI
मुस्कूराए हम तुम, हर पल
खुशियाँ छायी जहान मे आजकलI



© yogi